राजनीति का रंग और ढंग बदल गए, बदल चुके इंसान, दफ़न हो चुकी राजनीति बचा ना कोई निशान। कुछ हैं इतिहास में जिन्होंने लिखी नीतियाँ , किया करते थे राज नाम ले कर जिनका बनती थीं नीतियाँ। अब तो राजनीति बन गयी है रंग मंच उन लोगों का जो बटोरें दोनो हाथ, खेलें खेल बैठ क़ब्र पर, … Continue reading राजनीति का रंग और ढंग बदल गए
Month: December 2015
वक़्त से रुसवा हो ऐसे चले थे कि बेपरवाह हो गए
वक़्त से रुसवा हो ऐसे चले थे कि बेपरवाह हो गए , उसने जाने अनजाने याद रखा और ख़ैरखवाह हो गए। बेरुख़ी समझी हमने परवरदेगार की सन्यासी हो गए, खरखवाहों में रह कर भी बेमुराव्वत लापरवाह हो गए। कुछ जुनून तो है नौजवान-ए-हिंद में कर गुज़रने को, ज़लज़ले से निकली लहरों में खड़े बंदरगाह हो गए … Continue reading वक़्त से रुसवा हो ऐसे चले थे कि बेपरवाह हो गए
चलूँगा और बनाऊँगा एक नया संसार
जंगल में बैठ ठंडी साँस ले रहा हूँ,इस जंगल में फिर जीवन का आनंदले रहा हूँ,यहाँ फिर एक इत्तफ़ाक़ हो रहा है,जानवरों को देख कुछ सीखें ऐसा विचार हो रहा है।सादा जीवन संयम प्यार और सद्भाव,जीवन व्यापन नित्य बन प्रकृति का हिस्सा,संजोये रखूँ इस धरोहर कोयही उदेस्य हो रहा है।जनता हूँ मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ,बनाया उसने वो बुद्धिमान हूँ,पर दुष्कर्म में लगा हुआकर रहा विनाश हूँ,कहीं फोड़ता बम कहीं काटता पेड़ हूँ,मजबूरी … Continue reading चलूँगा और बनाऊँगा एक नया संसार
इन ख़यालों से
इन ख़यालों से जीवन का सार हैं, इन ख्यालों से कर्म क्षेत्र निर्धारित हैं, इन ख़यालों से नीतियां निर्मित हैं, इन ख़यालों से घर की नींव आधारित है, इन ख़यालों से अपने सपने संजोये हूँ, इन ख़यालों से भूतकाल का भ्रमण करता हूँ, इन ख़यालों को नियंत्रित करने को तत्पर हुआ हूँ, इन ख़यालों को … Continue reading इन ख़यालों से
आज भविष्यवक्ता का कथन पढ़ा
आज भविष्यवक्ता का कथन पढ़ाशरीर में झुरझूरी दौड़ गयी,लगा वही समयऔर बड़े आग़ाज़ के साथ लौट आया है,वही सब फिर होगा,वही पंक्तियाँ पढ़ी जाएँगी,वही ग़म दिखायी देंगे,हम फिर उसी चौराहे पर खड़े होंगे,पर ये निश्चित नहींकी अब की बार कौन साथ होगाऔर कौन छोड़गा साथ,कौन रोएगा की क्यों ऐसा होता है तुम्हारे साथ ।हम फिर एक कोने में बैठे रोएँगे ,प्रभु से बात कर फिर पूछेंगे ऐसा … Continue reading आज भविष्यवक्ता का कथन पढ़ा
तेरा नींद से भरी आँखों से मेरी तरफ़ देखना
तेरा नींदसे भारी आँखों सेमेरी तरफ़ देखना,धीरे धीरे से खिसक कर मेरी गोद में लेटना,इन पलों को संजोये जीता हूँ मैं मेरी परी।सुबह उठ कर वो चहचहा कर बातें करना ,स्कूल के लिए तेय्यार हो गाड़ी में बैठना,गाने सुनते हुए गुनगुना कर खिड़की से झाँकना ,बस इन पलों को संजोये जीता हूँ मैं मेरी परी।हर तकलीफ़ फीकी है,जब मिलता है तेरी नन्ही सी बाहोंमें सिमटना,हर ग़ुस्सा क़ाबू में होता है तबपड़ता … Continue reading तेरा नींद से भरी आँखों से मेरी तरफ़ देखना
ऐसे विचारों ने मुझे झकझोरा
एक लड़की को देखा देखता ही रहा,कुछ है अलग,क्या है अलग,क्यों है अलग,ऐसे विचारों ने मुझे झकझोरा ।साफ़ रंग सिर झुका हुआ सादे वस्त्रहाथ में लैप्टॉप बैग,पर ये क्या चेहरा कालाक्यों मगर,ऐसे विचारों ने मुझे झकझोरा।क्या है ऐसा,क्यों है ऐसा क्या है येजन्म से ऐसे,या किसी नेकिया ऐसा,ऐसा विचारों ने मुझे झकझोरा।रोज़ तो पढ़ते अख़बारों में,कभी किसी को लूटा जाता, कभी किसी को छीना जाता,कभी तेज़ाब फेंका जाता,क्यों है … Continue reading ऐसे विचारों ने मुझे झकझोरा
कल हमारी महफ़िल में कुछ दोस्त यार थे
कल हमारी महफ़िल में कुछ दोस्त यार थे |जामों कि खनक थी कुछ यारों के दरमियाँ |सुनने और सुनाने में मगर शोर बहुत था|खाली पड़े हैंजाम ज़राइनकी भी तो सुन लें|यादें पुरानी ताज़ीकर कुछ लुफ्त ले लिया|सन्नाटे की आवाज़ है, इनकी भी तो सुन लें|किससे कहें ये यार हम किस को सुनाएँ|दिल से जो निकली … Continue reading कल हमारी महफ़िल में कुछ दोस्त यार थे
कब सत्य प्रत्यक्ष देखूँगा मैं
कहता गुरु बहुत कर्मशील होना है तुम्हें, कहता गुरु बहुत धेर्य धरना है तुम्हें, तब चलोगे तुम तब बढ़ोगे तुम , तब हो अग्रसर नेतृत्व सबका करोगे तुम, यही सुन कर जीता हूँ मैं। मैं बैठा यही सोचता हूँ , क्यों और कहाँ जाना है मुझे, गुरु के कचोटने से क्यों बेचैन रहता हूँ मैं। इच्छा तो उस ज्ञान की है , इच्छा … Continue reading कब सत्य प्रत्यक्ष देखूँगा मैं