पहुँच ऑफ़िस सभी सुनते डाँट
नहीं पूरा किया काम है
मानो सारी दुनिया से
कुरुक्षेत्र लड़ने का काम है,
पहुँचोगे ना तुम संख नाद तक
तो कटेगी आधी सैलरी
होएग़ी किरकिरी मित्रों में
बजेगी तेरी बाँसुरी।
भाई टार्गट पूरा नहीं होता कभी
बढ़ता हनुमान जी की पूँछ की भाँति
जितना खिंचो जलाओ
बढ़ता उतना है,
हँसते हुए बॉस कहे
हारे हुए हो तुम
तीसमारख़ां नहीं,
करके वही काम पुनः
चूँ ना करो भाई ,
यह कम्पनी है
यहाँ नहीं तुम जंवाई,
कॉर्प्रोट सेक्टर से
उम्मीद ना कुछ करो
बस काम करो
यही रीत पुरानी चली आयी।
कहता पल्लव ढूँढो
अपने अस्तित्व को ए दोस्त
नहीं यहाँ अगर पाते सुकून
डरो नहीं तुम
एकाग्र्च्चित हो काम करो
तभी होगी सुनवायी।
में तो चला हूँ अपनी डगर अब
देखो तुम भी आए हो
पढ़ कर मेरी कविता
मंद मंद मुस्कुराए हो,
पसंद इस क़दर अगर आयी है
तो कुछ कॉमेंट करो भाई ,
और पढ़ो मेरी कविता
मुझे अप्रीशीएट तो करो
होगी तुम्हारी ही भलाई ।