पंछियों से पूछो

पौलयूशन से भरा

आसमान देख कर,
समझ जाता हूँ 
पंछी क्यों 
दिखते नहीं यहाँ।

पूछा जब मैने 
क्यों उड़ते हो वहाँ, 
समझ जाओ तुम
कहते मुझे ,
हवा ताज़ा है वहाँ 
कैसे जिए हम यहाँ 
इंसान नहीं रहता वहाँ।
इंसान बनाया खुदा ने 
वजह देकर ,
दो पैसे कमाने को 
फिर रहा हमेशा
जहाँ-तहाँ,
भूल कर सभी 
सभी रिश्ते नाते
ढूँढता फिर रहा 
यहाँ वहाँ,
पेड़ काट सभी 
बनाए आशियाने यहाँ ।

ए दोस्त तू तो सुन
क्या कह रहा सन्यासी,
अपनी बुद्धि का 
उपयोग कर,
मत ढूँढ 
उस खुदाई को 
वो है 
कण कण में,
हो संतुष्ट 
कर सृष्टि से प्यार,
लगा पेड़ 
कर इन बेज़ुबानो
का उद्धार।

ले साँस लम्बी
जा बैठ घर 
अपनो के संग 
रात हो गयी,
ले साँस लम्बी 
और ध्यान कर
प्रभु रहते यहाँ ।






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