कल हमारी महफ़िल में कुछ दोस्त यार थे

कल हमारी महफ़िल में कुछ दोस्त यार थे |जामों कि खनक थी कुछ यारों के दरमियाँ |सुनने और सुनाने में मगर शोर बहुत था|खाली पड़े हैंजाम ज़राइनकी भी तो सुन लें|यादें पुरानी ताज़ीकर  कुछ लुफ्त ले लिया|सन्नाटे की आवाज़ है, इनकी भी तो सुन लें|किससे कहें ये यार हम किस को सुनाएँ|दिल से जो निकली … Continue reading कल हमारी महफ़िल में कुछ दोस्त यार थे