इन ख़यालों से
जीवन का सार हैं,
इन ख्यालों से
कर्म क्षेत्र निर्धारित हैं,
इन ख़यालों से
नीतियां निर्मित हैं,
इन ख़यालों से
घर की नींव आधारित है,
इन ख़यालों से
अपने सपने संजोये हूँ,
इन ख़यालों से
भूतकाल का भ्रमण करता हूँ,
इन ख़यालों को
नियंत्रित करने को तत्पर हुआ हूँ,
इन ख़यालों को
ना करने दूँगा ख़ुद पर विजय प्राप्त,
यही सोच इंसान प्रतिदिन
गतिशील होता है,
यही सोच इंसान प्रतिदिन
कर्म के फल की उपेक्षा करता है,
परंतु
ऐसा है कुरुक्षेत्र ये ख़यालों का जंजाल,
इनसे निकलने को तत्पर
फिर इनहि में उलझा हुआ होता है।