जंगल में बैठ ठंडी साँस ले रहा हूँ,इस जंगल में फिर जीवन का आनंदले रहा हूँ,यहाँ फिर एक इत्तफ़ाक़ हो रहा है,जानवरों को देख कुछ सीखें ऐसा विचार हो रहा है।सादा जीवन संयम प्यार और सद्भाव,जीवन व्यापन नित्य बन प्रकृति का हिस्सा,संजोये रखूँ इस धरोहर कोयही उदेस्य हो रहा है।जनता हूँ मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ,बनाया उसने वो बुद्धिमान हूँ,पर दुष्कर्म में लगा हुआकर रहा विनाश हूँ,कहीं फोड़ता बम कहीं काटता पेड़ हूँ,मजबूरी … Continue reading चलूँगा और बनाऊँगा एक नया संसार