कुछ जान-ए-जिगर साथ है,
कुछ नए जज़्बात साथ है।
मेरे हमनवाज हमसफ़र साथ हैं,
मुस्कुराहटों में निकल रहे लम्हे साथ हैं।
इन लमहों में सिमटे कुछ लम्हे साथ हैं,
बंद आँखों में निकले नमकीन अश्क़ साथ हैं।
तुम्हारी इस ज़रा-नवाजी से शुक्रगुज़ार
हुए सन्यासी के ये जज़्बात साथ हैं।