दोस्ती की ज़ुबान नहीं होती

बेगुनाहों की तक़दीर में ठोकरें ज़रूर हैं,पर बेगुनाहों की तस्वीर मैले नहीं होती,वक़्त पलटते देर नहीं लगती पलट जाते हैं लोगजब तक़दीर नहीं होती।तुम भी किस कस्मक़स में फँस गए दोस्त,यहाँ फैली हुए गंदगी कभी गंदी नहीं होती,हट जाएगा अँधेरा होगा सवेरा भी,क्योंकि कुछ नहीं रुकता यहाँजब तस्वीर नहीं होती।रुक जाओ सोच लो थोड़ा,आएगा वक़्त होंगे सब हमसफ़रलगाने गले इंतज़ार में,तब मुस्कुरा देना ज़रा सा हमारी तरफ़ देख कर,समझ … Continue reading दोस्ती की ज़ुबान नहीं होती