Dedicated to all soldiers महफ़िल-ए-जाँबाज़ को देख मुस्कुरा कर चल दिए, वो बैठे थे नूर-ए-जंग की कामयाबी की मिसाल दिए। उस जाँबाज़ के अपनो के आँसुओं को देख रो पड़े छाती उनकी चौड़ी थी आँखों में आँसुओं को लिए । एक नादान भी था माँ की अगोश में छिपा हुआ नज़रें तलाशतीं जाँबाज़ को उसकी, … Continue reading महफ़िल-ए-जाँबाज़ को देख मुस्कुरा कर चल दिए