hindi-poetry.in
कश्मकश में बितती ज़िंदगी
कश्मकश में बितती ज़िंदगी, नासमझ से खड़े हैं हम कुछ खट्टी कुछ मीठी यादों के सहारे खड़े हैं हम अपनी ज़िंदगी को ख़ुद उलझाने की आदत है यहाँ गीता के ज्ञान का सीधा रास्ता भूल कर खड़े हैं हम। प्रभु से बात…