कहानी

तुम फूल हो पिता के गुलशन की, तुम्हे माँग कर लाया था तुम धड़कन हो भाईयों की, तुम्हे गठबंधन कर पाया था। आईं तुम मेरी दुनिया में, मरुस्थल का मै निवासी था घबराईं तुम देख मरुस्थल , मै भी लड़खड़ाया था। लड़े हम खुद से, कभी अपनो से किया घमासान फिर आई एक नन्ही परी, … Continue reading कहानी

पहलू में

वक्त गुजरता है, लम्हे चले जाते कशमकश के पहलू में शाम हो जाती है, मंजर चले जाते उदासी के पहलू में। बैठे ताक रहे थे खिड़की से बाहर अंधेरों को चांदनी नजर आयी दूर वादियों के पहलू में। कुछ मुस्कुराहट सी आयी लबों पर हमारे जैसे एक आग समाई हो सैलाब के पहलू में। खिंचाव … Continue reading पहलू में

कन्हैया

राधा जी के संग खड़े बन्सी बजाते हो भजता मै तुम्हे तो मुझे देख मुस्कुराते हो भक्तों के मित्र हो तुम कन्हैया सदा ही बुलाने पर दौड़ कर आते हो। मित्रों के लिए तुम पहाड़ उठाते हो कभी उन्हे बरबरीक सी मुक्ती दे जाते हो भक्तों के मित्र हो तुम कन्हैया उनके लिए खुद रणछोड़ … Continue reading कन्हैया

चतुर्भुज

हे राम ! तुम सुन्दर हो हे श्याम ! तुम सुन्दर हो, चतुर्भुज रुप मे खड़े तुम सुन्दर नारायण हो। खोजता हूँ सोचता हूँ देखता हूँ  ढूंढता हूँ ना मन्दिर ना घर आँखें बन्द कर पा लेता हूँ। अद्भुत तुम प्रत्यक्ष हो कमल लिए कमलनयन हो छवी अनूठी देख हर्षित हूँ गदा चक्र लिए सर्वशक्तिमान … Continue reading चतुर्भुज