चतुर्भुज

हे राम !

तुम सुन्दर हो

हे श्याम !

तुम सुन्दर हो,

चतुर्भुज रुप मे खड़े तुम

सुन्दर नारायण हो।

खोजता हूँ

सोचता हूँ

देखता हूँ

 ढूंढता हूँ

ना मन्दिर ना घर

आँखें बन्द कर

पा लेता हूँ।

अद्भुत तुम

प्रत्यक्ष हो

कमल लिए

कमलनयन हो

छवी अनूठी देख

हर्षित हूँ

गदा चक्र लिए

सर्वशक्तिमान हो।

फंसा मै माया मे

ॐ का उच्चारण करता,

गोद में लिए हुए थे तुम

याद करता हूँ

भंवर से निकालो मुझे

कहता मै धंसा हुआ।

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