धैर्य धर
चल उज्ज्वल पथ पर
धैर्य धर
मुस्कुरा वर्तमान में रह कर
वो खड़ा समीप
सब देख रहा है
धैर्य धर
हो रही वर्षा हर पथ पर।
हो खड़ा
ले गांडीव चढ रथ पर
आगे है सगं तेरे
वो सारथी बन कर
विजय अब निश्चित है,
अडिग हो लड़
उठा ले चढा प्रतंचया
अधीनता दूर कर।
मस्तक ऊँचा
गर्दन आधारित
चक्षु देख हुए स्थिर
कर्म कर
रख श्रृद्धा
होगा तू सफल इस पथ पर
हो सफल जब मनोरथ,
जोड़ हाथ करना स्मरण
तर जाएगा जीवन चक्र
पाएगा मोक्ष परस्पर।