।। राम राम।।
ॐ नमः हनुमंतेय भय भंजनाय सुुखं कूरू फट स्वाहा।।
* “नाम” राम को कल्पतरू , कलि कल्याण निवास ।
जो सुमिरत भये भाग्य ते , तुलसी तुलसी दास ।।
* भय नाशन दुमॅति हरण , कलि में राम को “नाम ” ।
“तुलसी” जो निश दीन भजे , सुफल होय तेही काम ।।
* मूक होहिं वाचाल , पंगु चढहिं गीरिवर गहन ।
जासु कृपा सुदयाल , द्रवहुं सकल कलि मल दहन।।
* राम नाम की औषधि खरा खंत से खाए।
अंग पिडा व्यापे नहीं महारोग मिट जाए ।।
बोलो राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
सर्वे हरि भक्तों मित्रगणों को सुप्रभात
।। राम राम।।