मिसाले-ए-यार

मुकम्मल कोशिशें जारी रखते हैं जो उन्हे फैज कहा करते हैं

किस्मत साथ दे कोशिशें देख जिनकी उन्हे मेरा यार कहा करते हैं। 

साथ चले हैं खड़े  सहारा बने एक दूसरे का हम दोनो

नजारे ये दोस्ती के देख लोग बखूबी जला करते हैं। 

अभी तो सफर का पहला पड़ाव भी नहीं आया जिंदगी में

हम साथ साथ चलते बस यूंही मुस्कुरा दिया करते  हैं। 

खूब नेमत है उस खुदा की हम मिले और खड़े है साथ

वरना इस वक्त में लोग सिर्फ मतलब से जुड़ा करते हैं। 

यार मेरे फैज आबाद रहो,  खूब खुशियां बरसे घर तुम्हारे 

पोलस्तय यूंही ख्याल आने पर दोस्त की तारीफ किया करते हैं। 

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