जननी मेरी
तुम सर्व प्रथम पूज्यनीय हो मेरे लिए
नित्य चरण वन्दन करना तेरा
नियम हो मेरे लिए।
जीवन यहां यापन हो रहा,
कर्म कारण बोध सब है मुझको
तुम्हारे समाचार मिलना
अन्तर मन की आवाज हो मेरे लिए।
अकेले ना समझना वहाँ खुद को,
दुख तुम्हारे हैं ज्ञात तेरे पुत्रों को
कल आ मेरे पास तू,
हाथ तेरा पकड़ना है
ज्ञात तेरे पुत्रों को
यह संसार है
मृत्यु लोक ऐ माँ
सब को जाना है
भाई तेरा एक गया
तू शोक में डूबी है
है ज्ञात तेरे पुत्रों को।
समझ लो यह माया है,
शरीर बदलना नियम उस रचयेता का
कपड़े बदलना जैसे है अनिवार्य
यही नियम उस रचयेता का
इस सत्य का है ज्ञात तुझे जानता हूँ
पुत्र हैं समीप तेरे,
जीवन में सबको संभालना
काम है रचयेता का।
शोक कर,
रो भी ले माँ तू दुख में
पर विरोधाभास में न पड जाना
दूसरा भाई जीवित बचा है कल
यह सोच तू उसकी ओर बढ़ जाना
भूल सब पुराने झगड़े
हाथ बढाना अपना उसकी ओर
जीवन के मूल्य यहीं हैं
स्वीकार कर चुनौती
भवसागर तर जाना।