भोर होती दिख रही

भोर होती दिख रही

पंछी घोंसलो से निकल रहे

दूर क्षितिज पर सवार हो 

सूर्य की पहली किरण 

अंधेरा चीरती दिख रही। 

मंदिरों की घंटियां 

मस्जिदों की पहली अजान

अहसास ये दिला रहीं

जाती रात की बात छोड़ 

अब आगे बढ़ मैने गांडीव उठाया है। 

हाथ जोड़ मै कर वनदन

बनसीवाले ने भी

सुदर्शन चक्र उठाया है, 

मेरे सारथी बन उन्होने 

आगे ले जाने का बीड़ा उठाया है

हो रथ पर सवार मेरे संग

बजरंग बली  ने भी गदा को उठाया है, 

देख अनुकंपा प्रभू की

और धैर्य धर व भक्ति कर

मैने शीश नवाया है। 

होगा शंखनाद अब

महाभारत में लोहा दिखाने का समय 

आया है

कर निर्मल मन 

अब ये बीड़ा उठाया है 

उठा गांडीव चढा़  प्रतनचया तैयार हो

उद्घोष का समय अब आया है। 

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