तू रख चित्त शांत और हावभाव में प्यार

चक्रवात सा आया है

सब धुमिल सा हुआ है

ठूंठता किसे नजर नहीं कुछ आता 

 हाथ प्रभू का बस पकडे़ है। 

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सन्दर्भों में बीते हैं साल

पीड़ा में है तुम्हारा लाल

गठबन्धन जिससे बांधा तुमने

है उसका सालों से बुरा हाल। 

डांट नहीं प्यार चाहिए मुझको

छडी़ नहीं गोद चाहिए मुझको

परिवार मेरा तूने दिया उत्तम है माँ

हर हाल में संजोए उसे रखूं, ज्ञात ये मुझको। 

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प्रभू पकडे़ हाथ मेरा,  ले जा रहे उस पार

तेरा पुत्र भक्त प्रहलाद, है उसकी लीला अपरमपार

आशिर्वाद तेरा लेता प्रातः काल, तू करती ह्रदय में निवास

तेरी परम यात्रा और उद्धार, है मेरा ये प्रण बारम्बार। 

तू चिन्ता मुक्त हो माँ है तेरे इस पुत्र की गुहार

निवारण है कमलनयन में, है उत्तम विचार

तेरा ये पुत्र होगा समीप,  जब वक्त की होगी गुहार

बस तू रख चित्त शांत और हावभाव में प्यार, 

बस तू रख चित्त शांत और हावभाव में प्यार, 
बस तू रख चित्त शांत और हावभाव में प्यार। 

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