वक्त गुजरता है देर नहीं लगती

बदल जाता है समा, और

वक्त गुजरते भी देर नहीं लगती

कभी मुस्कराये थे तुम किसी पर, 

जहाँ तुम पर हंसे, इसमे देर नहीं लगती। 

….

यहाँ नूर बरसते हैं उसके बन्दों पर

खुदा की कायनात है ये, जगह मिलने में देर नहीं लगती।  

मिट्टी में मिलकर भी मदद करते रहे गैरों की

खुदा उन पर हो मेहरबान, इसमे देर नहीं लगती। 

……. 

ख्वाहिशमंद होना जायज है दोस्त, 

मजबूर को सताने पर जमानत नहीं मिलती। 

पलटवार करने आता है वक्त

खुदा की,  गुनहगारों को कभी इनायत नहीं मिलती। 

…. 

खौफ खाओ इंसाफ से उसके

जब अदालत में तुम्हरी सुनवाई होगी। 

गलतफहमी में खड़े रह जाओगे, 

खुदा के इन्साफ में कभी देर नहीं होगी। 

….. 

अभी तो सिर्फ शुरुआत है मेरे दोस्त 

माफी मांगने से बेइज्जती नहीं होती, 

गुनाहों को कबूल करले बन्दा अगर

उसकी दी हुई अमानत में ख्यानत नहीं होती। 

Leave a Reply