तारनहार

नारायण के नाम ले, जुग जुग भयो संसार

जप तप सब व्यर्थ गया, यूँही दूर भयो अंधकार।

राम राम करत नाही, दुख के विवरण देत अन्भयास

ओंकार की चाल पर, पंच तत्व भी करत अभ्यास।

सुन साधो राम नाम तू जपता चल,  चाहे हो सुख अपार

गृह चाल बदल जावे जब, राम नाम तब तारनहार।

कहत पुलस्तय सुनो भाई माधो, होए सदा सुख अपार

हर पल यूंही जपत रहा, नारायण नारायण ये संसार। 

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