अटल जी की दीवाली 

कविता अटलजी की है , अतिशय सुंदर …..

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जब मन में हो मौज बहारों की

चमकाएँ चमक सितारों की,

जब ख़ुशियों के शुभ घेरे हों

तन्हाई  में  भी  मेले  हों,

आनंद की आभा होती है 

*उस रोज़ ‘दिवाली’ होती है ।*

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  जब प्रेम के दीपक जलते हों

  सपने जब सच में बदलते हों,

  मन में हो मधुरता भावों की

  जब लहके फ़सलें चावों की,

  उत्साह की आभा होती है 

 *उस रोज़ दिवाली होती है।*

…… 
जब प्रेम से मीत बुलाते हों

दुश्मन भी गले लगाते हों,

जब कहीं किसी से वैर न हो

सब अपने हों, कोई ग़ैर न हो,

अपनत्व की आभा होती है

*उस रोज़ दिवाली होती है ।*

…. 

जब तन-मन-जीवन सज जाए

सद्-भाव  के बाजे बज जाएं,

महकाए ख़ुशबू ख़ुशियों की मुस्काएं चंदनिया सुधियों की,

तृप्ति  की  आभा होती  है

 

*उस रोज़ ‘दिवाली’ होती है*🙏

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