भई भोर सवेरा जाग उठा
तू त्याग निद्रा को जाग उठा
अब बारी योग करने की
कुछ ध्यान कुछ कसरत करने की
जब अस्तित्व निर्मल होता है
तब सवेरा अच्छा होता है।
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माँ का आशिर्वाद जब प्रातः मिले
पिता से कुछ ज्ञान जब प्रातः मिलें
पूरे दिन की जब व्याख्या हो
शुभ कर्मों की भी जब संख्या हो
दिन सम्पूर्ण उदय तब होता है
तब सवेरा अच्छा होता है।
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साथी का जब प्यार मिले
शक्ती का संचार मिले
क्या खूब बाते हों अखिंयन में
जैसे समस्त संसार हो अखिंयन में
जीवन सफल तब होता है
तब सवेरा अच्छा होता है।
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सन्तान के मुख पर फूल खिले
निद्रा में आँखे मीचे आ गले मिले
विद्यालय जाने की जल्दी हो
कुछ दुध मिले जब उसमें भी हल्दी हो
जीवन स्वस्थ तब होता है
तब सवेरा अच्छा होता है,
तब सवेरा अच्छा होता है।