आज देखा वो मंजर दिल बाग बाग हो उठा बैठे हैं साथ मिल कर, ये देख हर्षोल्लास हो उठा, उठा लिया करते थे तरकश जो शक्ल ओ सूरत देखकर संग मे करते हैं बातें आज, एक दूसरे से हाथ मिला कर, आज भी जज्बातों में तीर तो थे मजाक में निशाने पर बैठे तो सही, … Continue reading दो विपरीत दल