हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते जाते जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते ... अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते-जाते ... रेंगने की भी इज़ाज़त नहीं हमको वरना हम जिधर जाते नयें फूल खिलाते जाते ... मुझको रोने का सलीक़ा भी नहीं हैं … Continue reading खाली हाथ
Day: January 12, 2018
इंतेखाब
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से, लुट गए सिंगार सभी बाग के बबूल से, और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे। कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे! नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई, पाँव जब तलक उठें कि ज़िन्दगी फिसल गई, पात-पात झर गए कि शाख़-शाख़ जल गई, चाह तो … Continue reading इंतेखाब