कुछ मामले कुछ मसाले थे
कुछ हमारे कुछ उसके हवाले थे।
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हम चले थे अकेले ही अफसानो की तलाश में
खुशियाँ बाँटती जिंदगी ने किए नजराने हवाले थे।
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वो बैठे थे इंतजार में, लिए हाथ में प्याला और कुछ आँसू
मुक्कमल सी थी मुलाकात, जो मिले हम गले सब हमारे हवाले थे।
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हम जुबान बंद नहीं कर सकते दुनिया की, दोस्तों
तुम ही बताओ क्या नाम दें उसे, जो खुद जिल्लत के हवाले थे।
bahut hi khubsurat kavita likhte hain aap …….ek aur khubsurat kavita aapke lekhni se nikalti huyee.