पिता – पुत्र

मेरे पिता का संदेश

आओ किसी का यूँही इंतजार करते हैं
चाय बनाकर फिर कोई बात करते हैं।
उम्र साठ के पार हो गई हमारी
बुढ़ापे का इस्तक़बाल करते है।
कौन आएगा अब हमको देखने यहां
एक दूसरे की देखभाल करते है।
बच्चे हमारी पहुंच से अब दूर हो गए
आओ फिर से उन्ही को कॉल करते हैं।
जिंदगी जो बीत गई सो बीत गई
बाकी बची में फिर से प्यार करते हैं।
खुदा ने जो भी दिया लाजवाब दिया
चलो शुक्रिया उसका बार बाद करते हैं।
सभी का हाल यही है इस जमाने में
ग़ज़ल ये सबके नाम करते है।

पुत्र का उत्तर

आपके प्यार और दुलार को सदा याद करते हैं

आपके दिये संस्कारों से युक्त जीवन निर्वाह करते हैं।

सदाचार और व्यापार में जूझता जीवन हमारा

हम आपको गर्वित करने को दिन दो चार करते हैं।

आप विराजते ह्रदय में सदा, जीवन है एक रण हमारा

हम आपको सामने रख, हम कर्म हर बार करते हैं।

ज्ञात है हमें आप पर बुढापा हावी हो रहा

सीढियों पर चढते अब घुटने आवाज करते हैं।

नारायण कृपा से आपका शरीर साथ दे रहा

आप यूँही रहें स्वस्थ यही कामना बार बार करते हैं।

हृदयगती जब सुनाई दे और अकेलापन हावी होने लगे

होंगें समक्ष सेवा करने, जिस प्रकार श्रवण कुमार करते हैं।

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