बेचैनी व चैन की परिभाषा भूल बैठे
सभी दृश्य एक दूसरे में घुले-मिले बैठे
होली के रंगों में रंगे थी कमीज जैसे
हर रंग यहीं शुरु यहीं खत्म हो जैसे
रंगो की थैली न खुल जाए कहीं
जिंदगी के हर रंग को ऐसे संजोकर हम हैं बैठे।
एक ही शब्द की समझ अलग अलग है आज
प्रभू की स्तुति पर भी लड़ते मरना समझदारी हैँ आज
अस्तित्व इंसानियत का मिटता रहे हर डगर तो क्या
किस्मत हमे अपनी, बदलती सी दिखती रहे तो क्या
फटे हाल मे भी जूझते हूए चलना आगे, सीखा है मैने
दूसरों को रोते देख हंसना भी तो सीखा है मैने।
एक ही शब्द की समझ अलग अलग है आज
प्रभू की स्तुति पर भी लड़ते मरना समझदारी हैँ आज
khubsurat lekhan.