भाई लोग

भाई लोगों.. एक कविता लिखी है.. बताना कैसी है…

एक बात सोच रहा था..
विचार कर सिर खुजा रहा था,

कितने घनिष्ठ हैं रिश्ते अपने
पूरे नहीं पड़ते जज्बात अपने,

इन चुटकुलों का सहारा लेना
तस्वीरें देख ख़ुश हो लेना,

कुछ ताली बजा कर के अपनापन दिखाना,
कुछ like कर के मौजूदगी जताना,

बस यही है सगापन हमारा,
सिमटा सुखों तक रिश्ता हमारा,

मदद मांगने पर सवाल उठाना
हालत खराब कर बेवकूफ़ दिखाना,

बदल गयी है दुनिया
नाचती है पैसे देख मुनिया,

बस यही हैं हम इन्सान
और आज कल रिश्ता हमारा,

एक बात सोच रहा था..
विचार कर सिर खुजा रहा था।

One thought on “भाई लोग

Leave a Reply