दोस्त

देखी जो नब्ज मेरी,
हँस कर बोला वो हकीम :

“जा जमा ले महफिल पुराने दोस्तों के साथ,
तेरे हर मर्ज की दवा वही है।”

दोस्तो से रिश्ता रखा करो जनाब…
ये वो हक़ीम हैं
जो अल्फ़ाज़ से इलाज कर दिया करते हैं।

खींच कर उतार देते हैं उम्र की चादर,
ये कम्बख्त दोस्त…
कभी बूढ़ा नहीं होने देते।

बच्चे वसीयत पूछते हैं,
रिश्ते हैसियत पूछते हैं,
वो दोस्त ही हैं जो
मेरी खैरियत पूछते हैं…..

~~~अनजान शायर~~~

One thought on “दोस्त

  1. बच्चे वसीयत पूछते हैं,
    रिश्ते हैसियत पूछते हैं,
    वो दोस्त ही हैं जो
    मेरी खैरियत पूछते हैं…..
    kya baat…..bilkul satya kaha.

Leave a Reply