पूर्णविराम

जीवन चक्र में फँस

उद्वेग में चलता रहा,

अर्धसत्य के सत्यापन को
पूर्णविराम समझता रहा,
इंसान की यही कहानी
जीवन चक्र में फँस
उद्वेग में चलता रहा।

जीवन पथ के उतार चढ़ाव
रितियों की ऊँच नीच में
बढ़ता हुआ चलता रहा,
विघन आए जब
ना रुका वो ना थमा वो
जीवन चक्र में फँस

उद्वेग में चलता रहा।
बखानता हुआ पुलस्तय
उत्तेजना में बोल रहा
अर्धविराम जीवन का
सत्य से परे रहा,
पूर्णविराम की अपेक्षा रखे
इंसान ही अग्रसर हो रहा ।
चले चलो विश्वास करो
अपने गंतव्य का ध्यान धरो,
सहिष्णुता से शक्ति भरो

धैर्य और भक्ती धरो,

प्रपंच में पड़ा इंसान

जीवन चक्र में फँस कर

उद्वेग में चलता रहा

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