ख्वाब 

अश्कों के बहने से जो सैलाब आया था

उनमें हमने उस खुदा को पाया था।

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रहनुमा बन्ने वाले बहुत मिले हमे

गुमराह करना उनकी फितरत पाया था।

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जूझते सब्र रखे हम बढते रहे बस

उसकी खुदाई में हमने खुद को पाया था।

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आज हम खडे़ हैं मुस्कान भरे इन लम्हों में

महाकाली ने वक्त पलटकर खुद से मिलाया था।

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पलटता है वक्त आता है सवेरा मेरे दोस्त

ख्वाब यंहीं तबदील होते हैं खुदा ने हमे समझाया था।

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