कितने इंतहानो से गुज़रे, तक़लीफ फिर भी ज़ारी है
हर इंतहाँ से सफल गुज़रे, तक़लीफ फिर भी जारी है।
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क्या गुनाह किया था तुमने, कि हश्र अभी जारी है
रहनुमाई में एक हो उसकी, अंजाम आना जारी है।
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सब्र रख कर जो चल रहे हो, खड़े रहना जारी है
खुदाई में जरा देर है उसकी, कयामत आनी जारी है।
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मरते रहोगे हर पल यूंही, मेहर आना जारी है
शक फिर भी ना करना, रहमो करम भी आना जो जारी है।
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सोचते रहोगे फलसफों को अपने, ख्याल आना ज़री है
दुआओं में किसी की बस्ते हो, रहमत आना जारी है।
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बैठते सोचते अकेले, हमारा लिखना जारी है
तुम भी कुछ यूँही उदास हो, तुम्हारा पढ़ना जारी है।