पायदान

पायदान के बाहर पैर रख कर

मुफलिसी के दौर मे दस्तवर खान बिछा कर

हम निवाला है बनाते हम उन खुदगरजों को

जो आँखे दिखायें आस्तीनो को चढा कर।

————

हमारी मुस्कुराहट देख कमज़ोरी ना समझाना

दिखा आँखें हमे, खुदी है तुम्हारी बुलंद ना समझाना

क्योंकि बड़ी हैसियत वाले नर्म मिज़ाज़ रहते हैं

उबलते माहोल में खुदा को ना तलब कर लाना।

————

इतनी खुदगर्ज़ नहीं दुनिया अभी

तुम्हें हर तरफ धोखा दें सभी

ऐतबार करने के दस्तूर जिंदा हैं पूल्‍सत्य

हर हाल में मुस्कुरा कर देख कभी।

Leave a Reply