बस ऐसे ही

चंद लम्हों में सिमटी जिन्दगी यूँही

किताब के पन्नो पर फैली स्याही ज्यूँही

तुम पन्नो को फाड़ने की कोशिश न किया करो

निकाल दी हमने अफसानो को समभलाते यूँही।

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इत्तफाक से टकरा गये हम शैतान से

पैगाम लिए है कहा खुदा के फरमान से

हम बहल कर चल दिये और गड्ढे मे जा गिरे

खुदा की रहमत थी, हम तो अनजान थे अनजाम से।

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कुदरती ताकत का नजराना मिला

एक खूबसूरत हमसफर का जो साथ मिला

हम तो बवकूफ से बैठे थे यूँही

जज्बातों के संग समझदारी का साथ मिला।

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