लीलाएं

माया महामाया की

स्थान सर्वोपरि है,

निर्गुण रूप व्याप्त करे

सगुण में दिगम्बरी है,

महाकाली के नाम सहस्त्र

संग चौंसठ योगिनी हैं,

खड़ग खप्पर धारण करे

राक्षसों को चरणो मे रखती है,

मेरे हाथों से भोजन करे

अधरों पर मुस्कान रखती है,

ब्रह्मांड मे सबसे सुन्दर रुप धरे

सिर्फ मुण्ड माला धारण कर विचरती है,

मनुष्य ध्यान ज्ञान प्रपंच अनंत करे

उद्धार करने फिर भी

हमें अपने चरणो में रखती है,

मै लिखता रहा

तुम यूंही पढते रहे

और माँ

ऐसे ही रोज

अनन्त लीलाएं रचती है।

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