जब साँस छूटेगी
ये लम्हा याद आएगा
ये लम्हा याद आएगा
बिना जाने की
कितना अकेला
दूर चला जाएगा,
रोता सिसकता
अंधेरे बरपाए थे
जब दूर तलक
अपनी छाया से भी अभिग्न
खुद को पाएगा।
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जब साँस छूटेगी
ये लम्हा याद आएग
ये लम्हा याद आएग
हाथ जोड़े खड़ा
कंपकंपाया सा
खुद को पाएगा,
प्रभु प्रत्यक्ष होते हुए भी
यूँही रोता आया है
कभी हँसता हुआ
खुदी को बुलंद कर दिखाएगा।
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जब साँस छूटेगी
ये लम्हा याद आएगा
ये लम्हा याद आएगा
कौन पास था
कौन दूर
समझ नहीं आयेगा,
दूर खड़ा था
मजबूर
चलता चलता सा रुकेगा
माया-मोह के इस चक्कर को
कभी न समझ पाएगा।
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जब साँस छूटेगी
ये लम्हा याद आएगा
ये लम्हा याद आएगा
वो श्वेत किरण
वो अनुभूति आगे पाएगा,
वो अनुभूति आगे पाएगा,
उस प्रभु के दर्शन कर
जीवन चक्र से छुट्टी मिले
जीवन चक्र से छुट्टी मिले
बोलता यही परस्पर
हर बार
पाया जाएगा।