हो सकता है

ऊबड़ खाबड़ रस्ते भी, समतल हो सकते हैं,
कोशिश की जाए तो मुद्दे हल हो सकते हैं.

शर्त यही है कोई प्यासा हार न माने तो,
हर प्यासे की मुट्ठी मेँ बादल हो सकते है.

सागर महासागर सी जब हो सकती हैं आँखें,
तो फिर दो आँसू भी गंगाजल हो सकते हैं.

जिनकी बुनियादों में खट्टापन है, मत भूलो,
पकने पर सब के सब मीठे फल हो सकते हैं.

ये दुनिया इन्सानों की है थोड़ा तो रुकिए,
पत्थर दिल वाले भी सब कोमल हो सकते हैं

सपनों के सच होने की तारीख नहीं होती,
आज न जो सच हो पाए वो कल सच हो सकते है

जीवन के हर पल को यूँ ही जीते चलिए बस,
इनमें ही कुछ महके महके पल हो सकते है।

– Unknown poet –

2 thoughts on “हो सकता है

Leave a Reply