अनजान

रिहा हो गई बाईज्जत

वो मेरे कत्ल के इल्ज़ाम से

शोख निगाहों को

अदालत ने हथियार नहीं माना।

– अनजान का शेर है –

– – अब मेरे शेर आगे – –

इठलाती बलखाती

अनजान हमारे अन्जाम से

उसकी पतली कमर को भी

तेज धार नहीं माना।

कत्ल हुए खड़े थे,

दिल हमारा बेलगाम था

उनकी शोख अदाओं को देख

उनका दीदार नहीं जाना।

अब वो बाईज्जत बरी हैं

इल्जाम से

किसकी तकदीर में इस कातिल का अन्जाम है

किसी ने नहीं जाना।

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