मोहब्बत मासूम सी
जान ए जहां मालूम सी,
पैरों में पायल
आंखों में काजल,
छम छम करती
धीरे से चलती,
पैरों तले फूल भी
बेपरवाही में भूल भी,
हमारी तरफ आती हो ऐसे
सुबह की उजली किरण में
धूप खिल आती हो जैसे,
मोहब्बत के इस मंज़र में
आंखों के समंदर में,
तुम्हारी मुस्कुराहट में
हंसने की आहट में,
खो जाते हैं हम
तुम्हें प्यार करने की आदत में।