चिंताओं से चिता तक
सफर करते इंसान को,
समझ महज इस बात की
अहम से नीचे पहुंचा सकूं
हर इंसान को।।
किस वक्त क्या होगा
उसे समझ नहीं,
समझदारी दिखे बस मेरी
हर इंसान को,
कभी मयखाने में
पैमाने छलक आए थे,
दोस्तों के संग बातें करते
हर दिखती लड़की को पटाने को।
इस यौवन की कलयुग में
बस इतनी कहानी है,
दम नहीं खुद में
ज़रा सा भी,
चले हैं दुनिया
अपने कदमों में झुकाने को,
जुड़ जाते हैं जब लोग
साथ उसका निभाने को,
चिंता करता है तब
उन्हें दुनिया से बचाने को।
मन साफ नहीं
तन साफ नहीं
चले हैं भगवान को
जगाने को,
एक गरीब जो मिला था
आज,
क्या ₹1 भी नहीं था
उसे दान कर आने को,
समझो वो प्रभु
क्या चाहते हैं,
राधा सा प्रेम करें सब,
न मरे खुदी पे
न मारे किसी और को
अपनों को पार तर जाने को,
प्रेम करें सृष्टि से
इंसानियत बचाने को।।