मत करना

मैं घुटने टेक दूँ,इतना कभी मजबूर मत करना
खुदाया थक गई हूं,पर थकन से चूर मत करना

मुझे मालूम है मैं अब किसी की हो नही सकती,
तुम्हारा साथ गर माँगूँ तो तुम मंजूर मत करना

यहां की हूँ,वहां की हूँ,खुदा जाने कहाँ की हूँ
मुझे दूरी से कुर्बत है,ये दूरी दूर मत करना

ना दर अपना ना घर अपना,जो कमियां है वो कमियां है
अधूरेपन की आदि हूँ मुझे भरपूर मत करना

जो शोहरत के लिए गिरना पड़े खुद अपनी नज़रों से
तो फिर मेरे खुदा मुझको कभी मशहूर मत करना..

मेरा मित्र सौरभ रस्तोगी

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