पैगाम उस पार नहीं जाता

धूल भरी आंधियों में कुछ नजर नहीं आता, नज़रें इधर-उधर देखती हैं जब तक ये दिल भर नहीं जाता, एक छड़ी जो पकड़ी है इन्सान तो उससे भी सहारा नहीं पाता, जब - जब उसे सनम के दीदार की दरकार होती है, आंखों के सामने से वो नजारा नहीं जाता, हमसफर और हमराज़ जो होते … Continue reading पैगाम उस पार नहीं जाता