उसका

राम उसका रावण भी उसका

फिर भी संसार का भाव नहीं उसका,

जीवन उसका मरण भी उसका

इंसान की समझ में अस्तित्व नहीं उसका,

तांडव उसका ध्यान भी उसका

योग और अभ्यास का सार नहीं उसका,

ज्ञानियों का ज्ञान उसका, प्रेतों का महाकाल उसका

चन्द्रमा का आधार भी उसका

संसार का भेद फिर भी नहीं उसका ।

Leave a Reply