आप को प्रणाम

हरामखोरों की फौज खड़ी है,
सत्ता की अगवानी में।
दिल्ली वाले बिक गये सारे,
मुफ्त के बिजली पानी में।।
शाहीनबाग ही नहीं जीता,
अफजल बानी भी जीत गये।
जेएनयू भी जीत गया और,
रोहिंग्या भी जीत गये।
वो एक हो गये अपनी ,
कौम की निगहबानी में।
और तुमने जमीर बेच दिया
बस मुफ्त के बिजली पानी में।
हिन्दुस्तान हार गया और
पाकिस्तानी जीत गये
दिल्ली वाले रीझ गये,
विकास की कुटिल कहानी में
दो वोट भी न कर पाये ,
ये शहीदों की कुर्बानी में।
दिल्ली वाले बिक गये देखो
चुल्लू भर पानी में।

Unknown poet

One thought on “आप को प्रणाम

  1. उनका एक होना लोकतंत्र की जीत,
    हमारा एक होना हिंदूवादी बन जाता है।
    बहुत सुंदर कृति।👌👌

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