राधे राधे

खुद को साधे नहीं , बस यूंही चलत संसार

जगतपिता को ध्याय रहा, बिना भाव संसार।

कैसे धरूं धीरज, निज मन को नहि आवत सुझाय

फंसा आडम्बर में मांगत माया, बस यूंही चलत संसार।।


ध्यान धरयो कान्हा के जब, नहीं आवत देखि हाल

यूंही लीला धरे पर, कबहुं ना पूछत हाल।

राधे राधे जब जपा, तर गया संसार

राधे राधे साध लियो जब, आए रहे कन्हैया लाल।।


सत्य प्रेम की कड़ी में, पिरोया है ये संसार

जहां तंहा प्रेम भया, मै भरता सब भंडार।

राधे राधे तुम जपो, होते सब दुख दूर

समझा गए मुरली मनोहर यूंही, समझ ले ये संसार।।

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