तुलसीदास जी के दो शिष्यों के बीच कोरोना वार्तालाप

तुलसीदास जी के दो शिष्यों के बीच कोरोना वार्तालाप पहला शिष्य :बाहर निकल भ्रमण जिन कीन्हां।खाकी-गण दारुन दु:ख दीन्हां।।लम्ब डण्ड से होत ठुकाई।करहु नियंत्रण मन पर भाई।।डाउन लॉक रहहु गृह माहीं।भ्रमण फिज़ूल करहु तुम नाहीं।। दूसरा शिष्य : सत्य सखा तव सुंदर वचनाभेदि न जाइ पुलिस की रचनाखाकीधारी अति बलशालीमारहि लाठि देहिं बहु गालीपृष्ठ भाग … Continue reading तुलसीदास जी के दो शिष्यों के बीच कोरोना वार्तालाप

सोचते रहोगे कब मिलें ये पल

चंद लम्हों में सिमटती जिंदगी कभी प्यार कभी तकरार में गुजरती जिंदगी, समेटे इन लम्हों को हम जी रहे प्यार भरे अल्फाजों में वो शुमार हो रहे, सुबह की ओस जैसे पड़ी फूंलों पर चमकती किरणे हुईं मुहाल उन पर। इन पलों को संजो लो अपनी यादों में मिले ना मिलें ये फुरसत के पल … Continue reading सोचते रहोगे कब मिलें ये पल

जिनपिंग चालीसा

हे जिनपिंग! चीन के स्वामी।तुम तो निकले बड़े हरामी।।1।।कोरोना के पालन कर्ता।मिल जाओ तो बना दें भरता।।2।। कोई मुल्क नहीं है बाकी।जहां ना मिलती इसकी झांकी।।3।।लॉक हुए हैं घर मे अपने।आज़ादी के देखें सपने।।4।। पत्नी कोसे बच्चा रोये।जिनपिंग नाश तुम्हारा होए।।5।।जो वुहान से भेजा कीड़ा।भोग रहा जग उसकी पीड़ा।।6।। बीमारी तुमने फैलाई।बेच रहे हो खुद … Continue reading जिनपिंग चालीसा