चंद लम्हों में सिमटती जिंदगी
कभी प्यार कभी तकरार में गुजरती जिंदगी,
समेटे इन लम्हों को हम जी रहे
प्यार भरे अल्फाजों में वो शुमार हो रहे,
सुबह की ओस जैसे पड़ी फूंलों पर
चमकती किरणे हुईं मुहाल उन पर।
इन पलों को संजो लो अपनी यादों में
मिले ना मिलें ये फुरसत के पल आंखों में,
फिर दूभर होगी जिंदगी कमाने में
सोचते रहोगे कब मिलें ये पल फिर जमाने में।