ऐसे ही शाम होती है

तुनक मिजाजी से, तुम्हारी ज़रा तौहीन होती है

मुस्कुरा कर बात करो, तो मौसिकी बेपनाह होती है,

पलकें भिगो लो ज़रा, तो उस तबस्सुम में नहा लें हम

तुम्हारी आशिकी में ऐसे ही सुबह और ऐसे ही शाम होती है।

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