अनपढ़ सा हूं मै

अनपढ़ सा हूं मै, फिर भी ज्ञानवान हूं

पल में तोला पल में मासा,फिर भी धैर्यवान हूं मै

सब कुछ देखता और परखता,

मुस्कुराहटों में लिपटा, सुखधम हूं मै

अनपढ़ सा हूं मै, फिर भी ज्ञानवान हूं।।


अपना सिर्फ सोचता हूं, फिर भी भाग्यवान हूं मै

किसी को कोसता भी हूं, फिर भी क्षमावान हूं मैं

प्रभु की आसक्ति बढ़ती रहती,

दुखों को भोगता, फिर भी आनंद का भंडार हूं मै

अनपढ़ सा हूं मै, फिर भी ज्ञानवान हूं।


मै से “मै” तक की यात्रा तय करता, वैरागी शमशान हूं मैं

सभी सुखों से परिपूर्ण जीवन, करूणानिधान हूं मै

कमल नयन जटाधारी बन, महिषासुर मर्दन करते

परमपिता की अमूल्य धरोहर, निधिवन की छोटी सी बेला हूं मै

अनपढ़ सा हूं मै, फिर भी ज्ञानवान हूं।।

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