एहतियातन हमने उन्हें अपने दिल से दूर रखा

एहतियातन हमने उन्हें अपने दिल से दूर रखा

वो हैं कि हमारे दिल में बेबाक समा गए,

ख्वाहिशों में जिनकी बुना करते थे सपने

वो खुद ही सपनों का संसार बसा गए ।

हम तो खुद से बेखुद हुए घूम रहे थे

एक बार फिर इश्क़ फर्मा बैठे,

अबकी जो नाज़नीन आयी

उन्हें संग ले संसार बसा बैठे।

जिंदगी जो हुआ करते थे कभी

ख्याल आज बने बैठे हैं जहन में,

उनकी तस्वीर इस कदर नर्म है

की तासीर तक गर्म है जहन में।

कभी तजुर्बे से निकलती

कभी इकरार से निकलती है जिंदगी,

खुदा से इश्क़ फरमा लो अगर

तो मूकदस मुकाम पाती है जिंदगी।

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